Kavya Soni

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Nov-2022 #बेपरवाह इश्क

माना जरा सा है बेपरवाह इश्क मेरा

पर चाहत बेशुमार है
कैस बतलाऊं सनम
कितना तुमसे प्यार है
सर्द मौसम में सुनहरी धूप से लिपटकर
पिघलती ओस की बूंदों सा खुमार
फिजाओं में महकती बाहर सा
मेरा तुमसे प्यार
अधेरी रात में खिलते चांद की 
शर्म से लिपटी चांदनी की 
अदाओं सा शुमार
महकती सांसों में घुलता सा 
मेरा तुमसे प्यार
हां जरा सा है बेपरवाह इश्क मेरा
पर चाहत बेशुमार है
कैसे बतलाऊँ हमदम तुमसे कितना प्यार है
मीरा सी पगली भी 
है शामिल दीवानगी राधा की भी
तुमसे मिलन के इंतजार में भी
मिलता करार है
गंगा सा निर्मल गीता सा पावन
पाकीजा रब की रहमत सा
तुमसे प्यार है
हीर की मंजिल रांझे के सफर सा
प्रीत की रीत की डगर सा तुमसे प्यार है
प्रेमी की चाह सा प्रेमिका की आह सा
मिलन की खुशी सा विरह के घाव सा
हमदम मेरा तुमसे प्यार है
हां सच्चा सा, नाजुक डोर सा कच्चा सा
जैसे मन्नत के धागे सा पवित्र दुआ सा
बेपरवाह इश्क सही रब की इबादत
तुमसे प्यार है
चाहत हमदम बेशुमार है


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5 Comments

Haaya meer

02-Nov-2022 05:51 PM

Amazing

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Muskan khan

02-Nov-2022 05:05 PM

Amazing 👍👍

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Sachin dev

02-Nov-2022 04:38 PM

Nice 👌

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